बद्रीनाथ धाम में माता मूर्ति मेला संपन्न।
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विनय उनियाल
जोशीमठ : भाद्रपद वामन द्वादशी पर देश के अंतिम गांव माणा में भगवान बदरी नारायण का अपनी मां देवी मूर्ति से भावपूर्ण मिलन हुआ। इस दृश्य को देख माता मूर्ति मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं की आंखें छलछला आई। उन्होंने माता मूर्ति को घरों में उगाई गई हरियाली भी अर्पित की। इस मौके पर सेना की ओर से भंडारे का आयोजन भी किया गया।
भाद्रपद वामन द्वादशी पर देश के अंतिम गांव माणा में भगवान बदरी नारायण का अपनी मां देवी मूर्ति से भावपूर्ण मिलन हुआ। इस दृश्य को देख माता मूर्ति मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं की आंखें छलछला आई। उन्होंने माता मूर्ति को घरों में उगाई गई हरियाली भी अर्पित की। इस मौके पर सेना की ओर से भंडारे का आयोजन भी किया गया। इसी के साथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अब संपूर्ण बदरीशपुरी में विचरण कर सकेंगे। परंपरा के अनुसार कपाट खुलने से लेकर वामन द्वादशी तक वह मंदिर से आवास और आवास से मंदिर तक ही आ-जा सकते हैं।
प्रत्येक वर्ष बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति उत्सव का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि कपाट बंद होने पर भगवान नारायण की पूजा का जिम्मा देवताओं का होता है। लेकिन, इस दौरान भगवान अपनी मां मूर्ति से नहीं मिल पाते। उनकी यह इच्छा यात्राकाल में भाद्रपद वामन द्वादशी के दिन पूरी होती है। इस दिन भगवान अपनी मां देवी मूर्ति के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इसी परंपरा का निर्वाह करने के लिए शुक्रवार सुबह नौ बजे भगवान नारायण को बाल भोग लगने के बाद बदरीनाथ मंदिर से भगवान नारायण की गद्दी और उनके प्रतिनिधि उद्धवजी की उत्सव डोली माणा गांव के पास माता मूर्ति मंदिर के लिए रवाना हुई।
इससे पूर्व उद्धवजी की डोली के मंदिर परिसर में आने के बाद मंदिर के कपाट बंद किए गए। इसके बाद यहां से डोली गाजे-बाजों के साथ साढ़े तीन किमी दूर माता मूर्ति मंदिर पहुंची। मंदिर में बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की मौजूदगी में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों नेवेद मंत्रोच्चार के बीच माता मूर्ति व उद्धवजी की पूजा-अर्चना की। साथ ही अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी चलते रहे। जबकि, माणा व बामणी समेत आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन की प्रस्तुति दी। उन्होंने माता मूर्ति को घरों में उगाई गई हरियाली भी अर्पित की।