भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर दिया धरना, सीएम को भेजा ज्ञापन।
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मसूरी : प्रदेश में मजबूत नया भू-कानून लागू करने की माॅग को लेकर शहीद स्थल पर उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी संगठन ने धरना दिया तथा मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय माॅग का ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि शीघ्र माॅग पूरी न होने की दशा में अनिश्चितकालीन जन आन्दोलन राज्यभर में शूरू कर दिया जाएगा।
अमर शहीद श्रीदेव सुमन की शहादत दिवस 25 जुलाई को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राज्य आन्दोलनकारियों ने मसूरी शहीद स्थल पर सुबह 11 बजे से धरना शूरू किया। धरने में मसूरी एवं देहरादून से अनेक आन्दोलनकारी व जन संगठनों के सदस्य शामिल हुए। इस अवसर आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए राज्यआंदोलनकारी जय प्रकाश उत्तराख्ंाडी, केदार चैहान, कमल भंडारी, देवी गोदियाल, पूरण जुयाल आदि वक्ताओं ने राज्य सरकार पर निरन्तर राज्य निर्माण के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने की बात कही वहीं कहा कि राज्य में तीन तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा सरकार ने पिछले 4 साल में राज्य हित का एक भी कार्य नहीं किया। बल्कि लगातार राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों की उपेक्षा व अपमान किया है। वक्ताओं ने आन्दोलनकारी विरोधी भाजपा सरकार में आन्दोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण का विधेयक राजभवन में अटका हुआ है। सभी सरकारों ने आन्दोलनकारियों को बाॅटने का कार्य किया है। जिसके तहत एक ही धारा में जेल जाने वाले आन्दोलनकारियों को अलग अलग पेंशन दी जाती है। आन्दोलनकारियों को सरकार स्वास्थ्य उपचार सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। वहीं आन्दोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने की माॅग सरकार को जल्द पूरी करनी चाहिए। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी संगठन के संयोजक प्रदीप भण्डारी ने कहा कि राज्य निर्माण के लिए 7 लोगों की शहादत देने वाली मसूरी में स्थानीय निवासियों का भारी उत्पीडन किया जा रहा है। सरकार द्वारा शिफनकोर्ट के वाशिंदों के घर तोड़कर बेघर कर दिया गया। मसूरी में राज्य गठन के 21 वर्षों में न आवास कालोनी बनी है न कोई मार्केट बना हैए युवा पीढ़ी बेरोजगार। भण्डारी ने यह भी कहा कि मसूरी वन विभाग की जन विरोधी कार्यशेली के कारण आज तक वन भूमि का सर्वे पूरा नहीं हुआ है जिससे मसूरी के लोगों को वन टाईम सेटलमेंट योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग 15 वर्ष से अभी तक यह तय नहीं कर पाया कि मसूरी में वन भूमि कौन सी है और कौन सी नहीं । जिस कारण मसूरी में आम आदमी के आवास के नक्शे न पास हो रहे हैं न शमन हो पा रहे हैं।
धरने के पश्चात आन्दोलनकारियों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक साथ सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में माॅग की गई है कि उत्तराखण्ड राज्य में अविलम्ब सशख्त भू.कानून बनाकर लागू किया जाय। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें समाप्त किए जांय। राजभवन एवं शासन स्तर पर उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों की लंबित सभी माॅगों को अविलम्ब पूरा किया जाए। मसूरी में वन विभाग और सर्वे ऑफ इण्डिया से सर्वे कार्य अति शीघ्र पूरा करवाकर मसूरी के भवन स्वामियों को वन टाईम सेटलमेंट योजना का लाभ दिया जाय। मसूरी नगर पालिका एवं शासन को मिलकर मसूरी के मूल निवासी युवाओं को स्वःरोजगार हेतु दुकानें बनाकर आवंटित करने हेतु आदेशित किया जाय। मसूरी के बेघर लोगों को नगर पालिका मसूरी एवं शासन मिलकर अतिशीघ्र आवास उपलब्ध करेंए इस हेतु आदेशित किया जाय। मसूरी के सभी होटलों एवं वाणिज्य प्रतिठानों में 90 प्रतिशत स्थानीय यूवकों को ही कार्य पर रखा जाय।
धरने पर बैठने वालों में जय प्रकाश उत्तराखण्डी, का0 सुरेन्द्र सिंह सजवाण, देवी गोदियाल, कमल भण्डारी, केदार चैहान, प्रदीप भण्डारी, पूरण जुयाल, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, राम खण्डूड़ी, सुमन भण्डारी, कृष्ण सागर नौटियाल, आर0पी0 बडोनी, चन्द्र प्रकाश गोदियाल, राकेश पंवार, श्रीपति कण्डारी, सुरेन्द्र रावत, सभासद प्रताप पंवार, दर्शन सिंह रावत, कुलदीप रौंछेला, असलम खान, एडवोकेट आलोक मेहरोत्रा, संजय टम्टा, कीर्ति कण्डारी, संजय गोस्वामी, मुलायम सिंह रावत, राजेश शर्मा, कामिल अली, श्याम सिंह चैहान, डा0 सोनिया आनन्द रावत, मनीष गौनियाल, सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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