दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक निर्माण पर तीर्थपुरोहितों और साधु-संतों में आक्रोश
1 min readप्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिल्ली में कोई केदारनाथ मंदिर का प्रतीकात्मक निर्माण कर रहा है, जो सनातन धर्म का सीधा विरोध है।
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक निर्माण के मुद्दे पर तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों, साधु-संतों और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश है। रविवार को ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने धरना प्रदर्शन किया।
शनिवार को भी तीर्थपुरोहितों ने केदारनाथ में प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारे लगाए थे। इस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारी सहित अन्य विद्वानों ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पूर्व विधायक और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस निर्माण का विरोध किया।
मंदिर परिसर में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए कहा कि दिल्ली में किसी के द्वारा केदारनाथ मंदिर का प्रतीकात्मक निर्माण सनातन धर्म का सीधा विरोध है। उन्होंने कहा कि सदियों से देश-विदेश के श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए हिमालय क्षेत्र में आते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य ने केरल से केदारनाथ आकर पांडवकालीन मंदिर का पुनर्निर्माण किया और पूजा-पद्धति की व्यवस्था स्थापित की, जिसका आज भी प्राचीन परंपरा के साथ पालन हो रहा है। तीर्थपुरोहित विनोद शुक्ला, उमेश पोस्ती, किशन बगवाड़ी, अंकुर शुक्ला, नवीन शुक्ला, और पंकज शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक निर्माण के शिलान्यास में भाग लिया है, जो पूरी तरह से अनुचित है। उन्हें इस निर्माण का विरोध करना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार ऐसा नहीं चाहती है। तीर्थपुरोहितों ने कहा कि जब तक दिल्ली में मंदिर का निर्माण कार्य बंद नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
श्रीकेदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि सनातन धर्म की परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए। केदारनाथ मंदिर भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इस दिव्य धाम का प्रतीकात्मक निर्माण उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं, बाबा केदार उनकी बुद्धि को सही मार्ग दिखाएं। धाम में प्रदर्शन और नारेबाजी करने वालों में कई यात्री भी शामिल थे।
केदारनाथ विधानसभा की पूर्व विधायक और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल ने कहा है कि दिल्ली ट्रस्ट द्वारा केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक निर्माण पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। बाबा केदार की यात्रा से हर साल केदारघाटी और देवभूमि उत्तराखंड के अन्य स्थानों के हजारों परिवारों की आजीविका चलती है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर का प्रतीकात्मक निर्माण किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि यह करोड़ों शिव भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ है।
केदारनाथ प्रतीकात्मक मंदिर से सरकार का लेनादेना नहीं : पंवार
भाजपा के जिलाध्यक्ष महावीर पंवार ने कहा कि दिल्ली में श्रीकेदारनाथ धाम ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर का विरोध उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर के निर्माण से उत्तराखंड सरकार का कोई संबंध नहीं है। एक बयान में उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के सभी सदस्य उत्तराखंड के हैं और देवभूमि की संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक और धार्मिक कार्यों में योगदान दे रहे हैं। दिल्ली में बन रहा मंदिर केवल प्रतीकात्मक है। उन्होंने याद दिलाया कि 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत और बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का शिलान्यास किया था, लेकिन तब भाजपा ने इसका विरोध नहीं किया था।