समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट में कई बड़े बदलाव, बहुविवाह और लिव-इन को लेकर चल रही चर्चा
1 min readउत्तराखंड में महिलाओं को पैतृक व पति की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के दृष्टिगत इसका प्रारूप तैयार कर रही विशेषज्ञ समिति इस सुझाव को प्रमुखता से प्रारूप में शामिल करने जा रही है। इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप के लिए प्रभावी रेगुलेशन एक्ट बनाने और बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने का प्रविधान करने जैसे कई अन्य बिंदु भी प्रारूप का हिस्सा होंगे।
समिति जल्द ही यह प्रारूप सरकार को सौंप सकती है। अध्ययन के उपरांत इसे विधेयक के रूप में विधानसभा से पारित कराया जाएगा। इसके लिए विधानसभा का सत्र जल्द बुलाया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण से बात हुई है। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि विशेषज्ञ समिति से जल्द ड्राफ्ट मिल जाएगा, इसका कार्य अंतिम चरण में है। ड्राफ्ट मिलते ही हम बिना देरी किए आगे की कार्यवाही संपन्न करेंगे।
80 से ज्यादा बैठकें, 2.30 लाख सुझाव
विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 15 माह के कार्यकाल में अभी तक 80 से अधिक बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.30 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं।
कई विषय पर संवाद
समिति ने बैठकों के जरिये प्रदेश के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय निवासियों से सुझाव लिए गए। प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही नई दिल्ली में भी प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ भी इस विषय पर संवाद किया। समिति को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट इसी वर्ष जून तक सौंपना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद सरकार ने समिति के कार्यकाल को तीसरी बार चार माह के लिए बढ़ाया।
ये बिंदु होंगे ड्राफ्ट का हिस्सा
वर्तमान कानूनी प्रविधानों में संशोधन, सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, तलाक, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदु।
‘विधानसभा के मानसून सत्र का अभी सत्रावसान नहीं हुआ है। ऐसे में सरकार चाहे तो सत्र बुला सकती है। यह कब होगा, यह सरकार को तय करना है।’ ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष विधानसभा उत्तराखंड।