September 10, 2024

घराट

खबर पहाड़ से-

रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा में बाइंडरों की मौत बनी रहस्य, अब एसआइटी करेगी जांच

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रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा प्रकरण में जिन बाइंडरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, उनकी मौत हो चुकी है। इन दोनों की संदिग्ध परिस्थितियों में वर्ष 2019 से 2021 के बीच मौत हुई है। ऐसे में प्रकरण की जांच कर रही एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) को संदेह है कि कहीं फर्जीवाड़ा करने वाले इस गिरोह ने ही तो इन्हें ठिकाने नहीं लगा दिया। ऐसे में अब एसटीएफ रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के साथ बाइंडरों की मौत के कारणों की भी जांच में जुट गई है। सब रजिस्ट्रार कार्यालय देहरादून में वर्ष 2007 से 2017 तक बाइंडर रहे नवरतन सिंह की वर्ष 2019 में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। मृत्यु का कारण अधिक शराब का सेवन बनाया गया।
इसके बाद इंग्लैंड निवासी महिला की राजपुर रोड स्थित करोड़ों की जमीन बेचने के मामले में बाइंडर सोनू का नाम सामने आया, जिसकी वर्ष 2021 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सोनू रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में पूर्व में गिरफ्तार बाइंडर अजय क्षेत्री का साला था। अजय क्षेत्री भी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइंडर था।

कोठी प्रकरण में रामभरोसे की मौत मामले में भी षड्यंत्र की आशंका
क्लेमेनटाउन में कोठी गिराने के प्रकरण में रामभरोसे नामक व्यक्ति की भी घटना के कुछ दिन बाद ही मृत्यु हो गई थी। रामभरोसे मूल रूप से सहारनपुर का रहने वाला था।
गिरोह ने संपत्ति के दस्तावेज भी रामभरोसे के नाम से ही तैयार किए थे। हालांकि, रामभरोसे कभी देहरादून नहीं आया था। बताया जा रहा है कि कोठी गिराने के 10 दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई थी। ऐसे में इस मामले में संदेह जताया जा रहा है कि कहीं षड्यंत्र के तहत ही रामभरोसे को ठिकाने तो नहीं लगाया गया।

बाइंडर व सहारनपुर के व्यक्ति की मौत की भी होगी जांच
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि जमीनों से जुड़े विभिन्न मामलों में बाइंडर नवरतन सिंह और सोनू के अलावा सहारनपुर के रामभरोसे की मौत के मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि मामला पुराना है, लेकिन फिर भी जांच करेंगे कि आखिर उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई थी।

क्लेमेनटाउन का हिस्ट्रीशीटर है ओमवीर तोमर
राजपुर रोड स्थित एनआरआइ की जमीन बेचने के मामले में गिरफ्तार आरोपित ओमवीर तोमर क्लेमेनटाउन थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ हत्या व धोखाधड़ी के तीन मुकदमे दर्ज हैं। आरोपित मुजफ्फनगर से लेकर देहरादून तक जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े गिरोह का सदस्य है, जो विवादित और खाली जमीनों पर नजर रखता था और उसके दस्तावेज बनाकर उसकी खरीद-फरोख्त करता था।

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